डा. सिंह ने कार्यम में शाला प्रवेशी छोटे-छोटे बच्चों का तिलक लगाकर उनका स्वागत किया और उन्हें स्कूल बस्ता प्रदान किया।
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शायद लड़ाई हो जाए. और लड़ाई में तो मुझे ही पड़ेगी! कैसे सारा सामान बिना नुकसान वापस लिया जाए! तब शुरू होता था सिलसिला नज़र रखने का! कब शाम होते ही वो दोस्तों के साथ खेलने के लिए जाएगा और कब मुझे मौका मिलेगा उसका स्कूल बस्ता चेक करने का? बस उसी दिन उसे मुझ पर प्यार आता था और हाथ पकड़ कर साथ खेलने के लिए ले जाता था!